इसमें कोई शक नहीं है कि हमारे चारों ओर दुनिया बदल रही है जहां विश्व अर्थव्यवस्था का भविष्य एक नाजुक धागे पर टिका हुआ है, एक और खतरनाक स्थिति भी है जो बेरोकटोक बढ़ रही है: जो विरोध प्रदर्शन और दंगे हो रहे हैं, वे राजनीतिक वर्ग के खिलाफ, रिश्वतखोर डॉक्टरों के खिलाफ और आर्थिक संकट के खिलाफ असंतोष व्यक्त करते हैं जिसको संभालना हमारे नेताओं को आया नहीं है या वह संभालना नहीं चाहते।...इसके साथ ही अधिक से अधिक नागरिक और पुलिस हिंसा और बर्बरता और लूटपाट दुनिया भर में फैल रही है। लेकिन इन तेजी से अनियंत्रित हिंसक प्रदर्शनों के पीछे कौन छिपा है जो लोगों को झुकने और माफी मांगने के लिए मजबूर कर रहा है और जिसे दुनिया भर के लोगों का समर्थन हासिल है? क्या ऐसा हो सकता है कि वे सामाजिक अराजकता पैदा करने के लिए एक ध्यान हटाने के प्रयासों का हिस्सा हों और इस प्रकार वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति के फिर से इलैक्शन को रोक सकें? और क्या ऐसा है कि वायरस को धीमा करने के बहाने के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पतन के लिए मजबूर हो जाएगी जो समाज के हर वर्ग को प्रभावित करेगी और यह कि हमें एक नई विश्व व्यवस्था (या नई सामान्यता) की ओर अग्रसर करने के अलावा इसका उपयोग दुनिया को बड़े पैमाने पर बेरोजगारी, देर से भुगतान, दिवालियापन, मॉर्टगेज, डिफ़ाल्ट, हद से ज्यादा गरीबी और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के सबसे खराब मानवीय संकट से हुई ज्यादा निराशा के कारोबार में धकेलने के लिए भी किया गया है। इसी तरह केंद्रीय बैंकों के लिए कहा जाता है कि उन्होंने इतिहास के सबसे बड़े सहायता पैकेज प्रदान करने का गंदा काम करना शुरू कर दिया
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